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Wednesday, 30 June 2010

Bukhaaraat

दूर से सराब  पास  आ रही है
कहीं से दबी हुई आवाज़ आ रही है
[सराब = illusion; ]

साँसों में गर्मी बदन में तपिश
आतिश-ए-दिल ज़बर पर आ रही है
[तपिश = heat; आतिश-ए-दिल = ambers from heart; ज़बर = above]

चस्म-ए-शम्स बरसाए शरारे    
सोज़-ओ-दूद  मेरे बदन से आ रही है
[चस्म-ए-शम्स = eyes which seem like sun, शरारे = ambers; सोज़-ओ-दूद = heat & smoke]

खर्जरों में गूंजती  हैं आवाजें
आवाजें दिल-ए-बियाँबान से आ रही है
[खर्जरों  = desolate]

 जल रहा मुज़्तरिब, बिन चिता बिन आग 
हों रहा है राख और फुगाँ आ रही है
[फुगाँ = wail]
'मुज़्तरिब'

1 comment:

Bhaiyyu said...

This is nice sir!