As I promised the anonymous reader of my blog, I am putting this beautiful Ghazal by Seemab Akbarabaadi. Aashiq Husain whose takhallus was 'Seemab' Akbarabadi, was born in 1880 in Agra, India. He was a disciple of Daag Dehlvi. The ghazal goes as:
अब क्या बताऊँ मैंने तेरे मिलने से क्या मिला,
इरफ़ान-ए-गम हुआ मुझे दिल का पता मिला
[इरफ़ान = knowledge]
जब दूर तक न कोई फ़कीर-आशना मिला
तेरा नियाज़मंद तेरे दर से जा मिला
[नियाज़मंद = needy]
मंजिल मिली मुराद मिली मुद्दा मिला
सब कुछ मुझे मिला जो तेरा नक्श-ए-पा मिला
[नक्श-ए-पा = footprints]
या ज़ख्म-ए-दिल को चीर के सीने से फेंक दे
या ऐतराफ कर के निशान-ए-वफ़ा मिला
[ऐतराफ = admit]
'सीमाब' को शगुफ्ता न देखा तमाम उम्र
कमबख्त जब मिला हमें कम-आशना मिला
[शगुफ्ता = happy, कमबख्त = unfortunate, आशना=friend]
'सीमाब' अकबराबादी
Listen to this version of ghazal by K.L Sehgal