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Thursday, 29 October 2009

yeh teri nazar ka khumaar hai.

न गुल है न खार है
बस ये तेरी नज़र का खुमार है
[गुल = flower, खार = thorn, खुमार = intoxication/hallucination]

जो  हमें देता था  ज़िन्दगी के मशवरे  कल तलक  
आज मेरे घर के जानिब उसका  मजार है
[मशवरे = suggestion, जानिब = sideways/direction, मजार = grave]

तू उस मुस्सविर का है इक नक्श बस
और इस नक्श के ताबीर हज़ार है
[मुस्सविर = artist; नक्श = brushstroke; ताबीर = interpretation/reality ]

जो तू पढता है मसलिहत  के फतवे दानिश
क्या खुद अपनी जिन्दगी पे तेरा इख्तियार है ?
[ मसलिहत = prudent measures/agood things, फतवे = decree; दानिश = intellectual; इख्तियार = control ]

जब माबूद-ओ-बन्दे का सामना होगा
उस वक़्त-ए-क़यामत का हमें कब से इन्तिज़ार है
[ माबूद = one who is worshiped, बन्दे = followers ]

ये जो तू फिलासुफ़ बना फिरता है 'प्रशांत'
तो फिर ये कैसा बेजार-ओ-इजतिराब है?
[ फिलासुफ़ = philosopher ;  बेजार-ओ-इजतिराब =  displeasure and restlessness ]

'प्रशांत'

1 comment:

Anonymous said...

There are dime a dozen shayars - when we were young we used to joke that if you throw a stone at a dog it will most probably hit a shayar :-). There were so many of them in the town where i lived. But i must say you're not half bad. Keep it up. I'm also a lover of Urdu and appreciate your effort to keep this sweet language alive.