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Wednesday 27 October 2010

Aaj Baazar mein paabajaulaa chaloo..

आज बाज़ार में पाबजौला चलो
चस्म-ए-नम , जाँ-ए-शोरीदा काफी नहीं
तोहम-ए-इश्क पोशीदा काफी नहीं
आज बाज़ार में पाबजौला चलो
[पाबजौला = in fetter, चस्म-ए-नम = moist eyes, जाँ-ए-शोरीदा = sad soul, पोशीदा = concealed]

दस्त-ए-अफशां चलो, मस्त-ओ-रक्सां चलो
खाक बरसर चलो खूबदामां चलो
राह ताकता है सब शहर-ए-जाना चलो
[दस्त-ए-अफशां = clapping/rotating hands; मस्त-ओ-रक्सां = mad dancers; खाक बरसर = laborers, खूबदामां = drenched in blood];

हाकिम-ए-शहर भी, मुहब-ए-आम भी
तीर-ए-इलज़ाम भी, संग-ए-दुशनाम भी
सुबह-ए-नाशाद भी, रोज़-ए-नाकाम भी
इनका दमसाज़ अपने सिवा कौन है
शहर-ए-जाना में अब वासफा कौन है
दस्त-ए-कातिल के शायां रहा कौन है
रुखसत-ए-दिल बाँध लो, दिलफिगारो चलो
फिर हमही क़त्ल हों आये यारो चलो |
[हाकिम-ए-शहर = officers of town, मुहब-ए-आम = common man, संग-ए-दुशनाम = infamous, शायां = capable, दिलफिगारो = wounded heart]
फैज़ अहमद 'फैज़'

Thursday 16 September 2010

jaan ka meri jaana na hua..

जाँ का मेरी जाना न हुआ,
अंजाम-ए-इश्क-ए-फ़साना न हुआ
[अंजाम-ए-इश्क-ए-फ़साना = end of love story]

यूँ तो फिरता हूं दर-ब-दर
पर तवाफ़-ए-कू-ए-जाना न हुआ
[तवाफ़-ए-कू-ए-जाना = circumbulation of beloved's lane ]

नम-ए-संग  हुआ है चस्म मेरा
आज फिर तेरा आना न हुआ
[नम-ए-संग = moist stone; चस्म = eyes]

हुए हैं कई कैस-ओ- फरहाद जहाँ में
'मुज़्तरिब' सा कोई दीवाना न हुआ
[कैस-ओ- फरहाद = Kaise (name of majnu) & Farhad]

'मुज़्तरिब'

Tuesday 7 September 2010

Wo walwale nahi rahi guftaari kee..

हुई थी क़रार जिनसे ताउम्र यारी की
पेशानी पे उनके शिकन है बेज़ारी की
[क़रार = pact; ताउम्र = for life, पेशानी = forehead, बेज़ारी = displeasure]

रक़्स करती थी जिंदगी इक इशारे पे
रही ना कुव्वत अब उस इख्तियारि की
[रक़्स = dance, कुव्वत = power; इख्तियारि = control]

हाल-ए-जीस्त की बयानी क्या करूँ
वो  वलवले  नही रही गुफ्तारी की
[हाल-ए-जीस्त = tale of life; बयानी = recite, वलवले = enthusiasm, गुफ्तारी = to speak]

लब पे हँसी लिए फिरते हो 'मुज़्तरिब'
बहुत जी चुके ये ज़िंदगी मुख्तारी की
[मुख्तारी = proxy]
'मुज़्तरिब'