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Thursday 5 November 2009

Dil ko sukoon nahin milta

गर्दिश-ए-हालत है  पर  सिर को जुनूं नहीं मिलता
अश्कबार हैं आँखें पर दिल को सुकूँ  नहीं मिलता
[ गर्दिश-ए-हालत = bad times, जुनूं  = passion/madness, अश्कबार = with tear, सुकून = peace]

शक  हुआ सीना मेरा इक नेजा-ए-नज़र से
दिल फिगार है पर किसी  दस्त  पे मेरा खूं नहीं मिलता
[शक = break , नेजा = spear, दस्त = hand,फिगार = wounded]

जो महव-ए-इश्क होते हैं उन्हें खुदा मिलता है
मुझे  तेरे कोनैन में अए खुदा  कभी तू नहीं मिलता
[ महव-ए-इश्क = drowned in love, कोनैन = both world, ]

इक उम्र से असिरान-ए-जहाँ है 'प्रशांत' 
सबा तो आती है कफस में पर वा गर्दूं नहीं मिलता
[असिरान-ए-जहाँ = prisoner of world, सबा = wind , कफस = cage, वा=open , गर्दूं = sky]

'प्रशांत'

After dozens of mental recitation of this Ghazal I realised that there is a very famous sher which has the same radeef as mine. I am putting down the beautiful Ghazal by Shahryaar..

कभी किसी को मुक्कम्मल  जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आस्मां नहीं मिलता

जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
जुबां मिली है पर हम-जुबां नहीं मिलता

बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमे धुंआ नहीं मिलता

तेरे जहाँ में ऐसा नहीं की प्यार न हों
जहाँ उम्मीद हों इसकी वहां नहीं मिलता

'शहरयार'

Thursday 29 October 2009

yeh teri nazar ka khumaar hai.

न गुल है न खार है
बस ये तेरी नज़र का खुमार है
[गुल = flower, खार = thorn, खुमार = intoxication/hallucination]

जो  हमें देता था  ज़िन्दगी के मशवरे  कल तलक  
आज मेरे घर के जानिब उसका  मजार है
[मशवरे = suggestion, जानिब = sideways/direction, मजार = grave]

तू उस मुस्सविर का है इक नक्श बस
और इस नक्श के ताबीर हज़ार है
[मुस्सविर = artist; नक्श = brushstroke; ताबीर = interpretation/reality ]

जो तू पढता है मसलिहत  के फतवे दानिश
क्या खुद अपनी जिन्दगी पे तेरा इख्तियार है ?
[ मसलिहत = prudent measures/agood things, फतवे = decree; दानिश = intellectual; इख्तियार = control ]

जब माबूद-ओ-बन्दे का सामना होगा
उस वक़्त-ए-क़यामत का हमें कब से इन्तिज़ार है
[ माबूद = one who is worshiped, बन्दे = followers ]

ये जो तू फिलासुफ़ बना फिरता है 'प्रशांत'
तो फिर ये कैसा बेजार-ओ-इजतिराब है?
[ फिलासुफ़ = philosopher ;  बेजार-ओ-इजतिराब =  displeasure and restlessness ]

'प्रशांत'