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Sunday 31 October 2010

dekh to dil se ke jaan se uthta hai..

देख तो दिल से के जाँ से उठता है
यह धुआं कहाँ से उठता है

गोर किस दिलजले की है ये फलक
शोला एक सुभः यां से उठता है
[गोर = grave/tomb ;दिलजले = heart burnt; ]

खाना-ए-दिल से ज़िन्हार ना जा
कोई ऐसे मकाँ से उठता है

नाला सर खेंचता है जब मेरा
शोर एक असमान से उठता है
[नाला = lament]

लडती  है उस की चश्म-ए-शोख जहाँ
एक आशोब वां से उठता है
[आशोब = turmoil]

सुध ले घर की भी शोला-ए-आवाज़
दूद कुछ आशियाँ से उठता है
[दूद = smoke]

बैठने कौन दे है फिर उस को
जो तेरे आस्तां से उठता है
[आस्तां  = threshold]

यूँ उठे आह उस गली से हम
जैसे कोई जहाँ से उठता है
 
इश्क इक 'मीर' भारी पत्थर है
बोझ कब नातवां से उठता है
[नातवां = weak]
मीर ताकी 'मीर'


Wednesday 21 October 2009

Shehron Mulkon mein jo yeh..

शहरों मुल्कों में जो ये 'मीर' कहाता है मियां,
दीद-नी है पर बहुत कम नज़र आता है मियां
[दीद = vision]
आलम आइना है जिसका वो मुस्सविर बे-मिस्ल
हाए क्या सूरतें पर्दें में बनता है मियां
[आलम = world , आइना = mirror , मुस्सविर=artist मिस्ल = like/example बे-मिस्ल = without example/unique]
किस्मत उस बज्म में लायी की जहाँ का साकी
दे है मय सबको हमको ज़हर पिलाता है मियां
[बज्म = gathering ]
Meer Taqi 'Meer'
Adding my own Makhta to this Ghazal

तर्क-ए-जहाँ को जिसकी इबादत तूने की 'प्रशांत'
वो अब तुम्हें इश्क के सबक सिखलाता है मियां
[तर्क-ए-जहाँ = renounce the world, इबादत = worship]

Aake Sajjada Nashin

आके सज्जादानशीं  कैस  हुआ मेरे बाद,
न रही दश्त में खाली कोई जा मेरे बाद
[सज्जादानशीं = saint/dervish ,कैस = Real neame of majnoo, दश्त = wilderness/desert/ ]

चाक  करना है इसी गम से गिरेबान-ए-कफ़न
कौन खोलेगा तेरे बंद-ए-क़बा मेरे बाद
[चाक = torn, गिरेबान = collar, कफ़न = shroud, बंद-ए-क़बा = Closed Gown]

वो हवा खा है चमन के, चमन में हर सुभ
पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा मेरे बाद
[सुभ = Morning, बाद = wind , सबा = wind/Breeze]

तेज़ रखना सरे हर खार को  अए  दश्त-ए-जुनूं
शायद आ जाए कोई आबला पा मेरे बाद
[खार = thorn, दश्त-ए-जुनूं = extreme desert, आबला पा = blistered feet]

मुह पे रख दामन-ए-गुल रोयेंगे मुर्गान-ए-चमन
हर रविश ख़ाक उडाएगी सबा मेरे बाद
[दामन = Skirt, गुल = flower, मुर्गान = birds, रविश = behaviour ,  सबा = wind]

बाद मरने के मेरे कब्र पे आया वो 'मीर'
याद आयी मेरे ईसा को  दवा  मेरे बाद
Meer Taqi 'Meer'

Adding my Maqta to this ghazal

हयात-ए-क़फ़स में बा-मर्ग है 'प्रशांत'
 यहाँ आएगा न कोई मुझ जैसा मेरे बाद
[हयात-ए-क़फ़स = Prison of Life; बा-मर्ग = towards death]