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Sunday, 31 October 2010

dekh to dil se ke jaan se uthta hai..

देख तो दिल से के जाँ से उठता है
यह धुआं कहाँ से उठता है

गोर किस दिलजले की है ये फलक
शोला एक सुभः यां से उठता है
[गोर = grave/tomb ;दिलजले = heart burnt; ]

खाना-ए-दिल से ज़िन्हार ना जा
कोई ऐसे मकाँ से उठता है

नाला सर खेंचता है जब मेरा
शोर एक असमान से उठता है
[नाला = lament]

लडती  है उस की चश्म-ए-शोख जहाँ
एक आशोब वां से उठता है
[आशोब = turmoil]

सुध ले घर की भी शोला-ए-आवाज़
दूद कुछ आशियाँ से उठता है
[दूद = smoke]

बैठने कौन दे है फिर उस को
जो तेरे आस्तां से उठता है
[आस्तां  = threshold]

यूँ उठे आह उस गली से हम
जैसे कोई जहाँ से उठता है
 
इश्क इक 'मीर' भारी पत्थर है
बोझ कब नातवां से उठता है
[नातवां = weak]
मीर ताकी 'मीर'


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