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Tuesday, 17 November 2015

ये बात कुछ कम हैं कि बस हम ज़िंदा हैं ...



कोई बात नहीं गर हम पस-ए-ज़िन्दां  हैं 
ये बात कुछ कम हैं कि बस हम ज़िंदा हैं 
[पस-ए-ज़िन्दां = behind the bars/prison ]

तेरे अर्श के ज़ीने  मेरे शानों  से गई थीं 
निगूँ हुए क्यूँ , इस बात पे हम शर्मिंदा हैं
[अर्श के ज़ीने = staircase/ladder to heaven,शानों   = shoulder, निगूँ = bend ]

इक हम ही नहीं जश्न में तेरे, और सब तो हैं 
मय है, जाम है, साक़ी है और रिन्दां हैं 
[मय = wine, जाम  = goblet, साक़ी = bartenders, रिन्दां = boozers ]

अब और क्या बाकी रहा हमारे दरमियाँ 
चंद  लम्हें  मता-ए-इश्क़ के  जो चुनिंदा हैं 
[मता-ए-इश्क़ = treasure of love, चुनिंदा  = selected ]

भूल तो जाएं उसे , मगर फिर जाएं  कहाँ 
 ये ज़मी भी उसी की है जहां के हम बाशिंदा हैं 
[ बाशिंदा = native]

'मुज़्तरिब' 

koi baat nahin gar hum pas-e-zindaa.N hain
ye baat kuch kam hai ki bas hum zindaa hain


tere arsh ke zeene mere shaane se gai thee.n
nigoo hue kyun, iss baat pe sharmindaa hain


ik hum hee nahin jashn mein tere, aur sab tou hain
mai hai, jaam hai, saaqi hai aur rindaa.N hain


ab aur kyaa baaki raha hamaare darmiyaan
chand lamhein mataa-e-ishq ke jo chunindaa hain


bhool tou jaayen use, magar phir jaayein kahaan
ye zamiin bhee usi kee hai, jahan ke ham baashindaa hain 

'Muztarib' 



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