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Sunday 1 May 2011

दो गजलें ' फ़राज़' की...

Putting down two famous gazals of Faraaz saab and attached is the video with his enigmatic rendition


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Usne sukkut-e-shab mein bhee

उसने सुकूत-ए-शब् में भी अपना पैआम रख दिया
हिज्र की रात बाम पे माह-ए-तमाम रख दिया
[सुकूत-ए-शब् = silence of night; पैआम = message; हिज्र = seperation; बाम = terrace; माह-ए-तमाम = full moon]

आमद-ए-दोस्त की नवीद कू-ए-वफ़ा में आम थी
मैंने भी चिराग सा दिल सर-ए-शाम रख दिया
[आमद-ए-दोस्त = friend's arrival ; नवीद = good news; कू-ए-वफ़ा = lanes of loyalty; सर-ए-शाम  = as evening approaches ]

देखो ये मेरे ख़ाव थे देखो ये मेरे ज़ख्म हैं
मैंने तो सब हिसाब-ए-जां बर-सर-ए-आम रख दिया
[हिसाब-ए-जां = ledger of beloved; सर-ए-आम = in public]

उसने नज़र नज़र में ही ऐसे भले सुखन कहे
मैंने तो उसके पांव में सारा कलाम रख दिया
[सुखन = words; कलाम = oeuvre]

शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी गैरत-ए-मयकशी  रही
उसने जो फेर ली नज़र मैंने भी जाम रख दिया
[शिद्दत-ए-तिश्नगी = desire of wine; गैरत-ए-मयकशी = respect for rules of wining]

और 'फ़राज़' चाहिए कितनी मुहबतें तुझे
की माओं ने तेरे नाम पर बच्चों  का नाम रख दिया

अहमद ' फ़राज़'

Adding my Makhta to it

उसकी इक निगाह पे रकीबों ने रखी है बाज़ी
दाव पे मुज़्तरिब  ने दिल-ओ-जां रख दिया  

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Suna hai log use aankh bhar ke dekhte hain


सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उसके शहर  में कुछ दिन ठहर के देखते हैं

सुना है रब्त है उसको ख़राब-हालों से
सो अपने आप को बर्बाद कर के देखते हैं
[रब्त = affinity/closeness; ख़राब-हालों = wretched]

सुना है दर्द की गाहक है चस्म-ए-नाज़ुक उसकी
सो हम भी उसकी गली से गुज़र के देखते हैं
[गाहक = buyer; चस्म-ए-नाज़ुक = tender eyes ]

सुना है उसको भी है शेर-ओ-शायरी से शगफ़
सो हम भी मोइज़े अपने हुनर के देखते हैं
[शगफ़ = passion; मोइज़े = magic]

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं

सुना है रात उसे चाँद तकता रहता है
सितारे बाम-ए-फलक से उतर के देखते हैं

सूना है हश्र  है उसकी गजाल सी आँखें
सुना है उसको हिरन दश्तभर के देखते हैं
[हश्र = judgement day; गजाल = deer; दश्तभर = whole jungle]

सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं
सुना है रात को जुगनूं ठहर के देखते हैं

सुना है रात से बढ़ कर है काकुलें उसकी
सुना है शाम को शाये गुज़र के देखते हैं
[काकुलें = tresses]

सूना है उस की स्याह चस्मगी क़यामत है
सो उसको सुरमाफ़रोश आँख भर के देखते हैं
[स्याह चस्मगी = dark eyes; सुरमाफ़रोश = kohl seller ]

सुना है उसके लबों से गुलाब जलते हैं
सो हम बहार पे इलज़ाम धर के देखते हैं

सुना है आइना तमसाल है ज़बीं उसका
जो सादादिल हैं बन संवर के देखते हैं
[तमसाल = like; ज़बीं = forehead; सादादिल = pure hearted ]

सुना है उसके बदन की तराश ऐसी है
की फूल अपनी कबायें क़तर के देखते हैं
[कबायें = clothes/blouse]

बस इक निगाह से लुटता है आइना दिल का
सो रह-रवां-ए-तमन्ना भी डर के देखते हैं
[रह-रवां-ए-तमन्ना = traveller's desire]

सूना है उसके सबिस्तां से मुतास्सिल है बहिस्त
मकीं उधर के भी जलवे इधर के देखते हैं
[सबिस्तां = bedroom; मुतास्सिल = near/close; बहिस्त = heaven; मकीं = tenent]

रुके तो गर्दिशें उसको तवाफ करती हैं
चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं
[गर्दिशें = circle/passage esp of time; तवाफ = circumbulation ]

किसे नसीब के बे-पैराहन उसे देखे
कभी कभी दर-ओ-दीवार घर के देखते हैं
[बे-पैराहन = without clothes; दर-ओ-दीवार = doors and walls]

कहानियाँ से सही सब मुबालगे ही सही
अगर वो खाब है तो ताबीर कर के देखते हैं
[मुबालगे = beyond imagination; खाब = dream; ताबीर = interpretation ]

अब उसके शहर में ठहरे की कूच कर जाएँ
'फ़राज़' आओ सितारे सफ़र के देखते हैं

अहमद 'फ़राज़'

Adding my own makhta to it

सुना है अकीदत है उसको सबातवालों का
'मुज़्तरिब' आओ फिर सब्र कर के देखते हैं
[अकीदत = respect/prefrence; सबातवालों = one who has patience; 'मुज़्तरिब' = restless; सब्र = patience]

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Sunday 10 April 2011

Saare jahan se accha

तराना-ए-हिंद

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं उसकी ये गुलसितां हमारा

ग़ुरबत में हो अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वही हमें भी दिल हो जहाँ हमारा
[ग़ुरबत = in alien land/exile]

पर्वत वो सबसे उंचा हमसाया आसमां का
वो संतरी हमारा वो पासबां हमारा
[संतरी = sentry, पासबां = guard ]

गोदी में खेलती हैं जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से रस्क-ए-जिनां हमारा
[रस्क-ए-जिनां = envy of  heaven]

ऐ आब-ए-रौद-ए-गंगा ! वो दिन हैं याद तुझको
उतरा तेरे किनारे जब कारवां हमारा
[आब-ए-रोद-ए-गंगा = flowing water of ganges]

मज़हब  नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दुस्तां हमारा

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाकी नाम-ओ-निशाँ हमारा

कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा

इकबाल ! कोई मरहम अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहां हमारा
[मरहम = balm/sympathiser; दर्द-ए-निहां = hidden pain]

अल्लामा 'इकबाल'

Adding two shers of mine to this beautiful ghazal


बहर-ए-अरब-ओ-बंग-ओ-हिंद करता है वजू जिसका
वो सादिक जमीं हमारी वो पावन देश हमारा
[बहर-ए-अरब-ओ-बंग-ओ-हिंद = Arab and Bengal and India Ocean, वजू = abulation; सादिक = pure ]

फैजी है 'मुज़्तरिब' जो पैदा हुआ यहाँ पे
यहीं जन्नत हमारी यहीं काबा हमारा
 [फैजी = blessed, ]


Putting below is a rough translation of this:

Song of Hind

the best in whole world is my hindustaan
we are its nightingale and this garden is our home

even in exile our heart is at home
and we are there where our heart is

the loftiest of the mountains, the friend of sky
is our sentry, is our guard

thoushand of river plays in her bosom
our garden is an envy to the heaven

O flowing water of Ganges! did you recall the day
when our caravan had landed at your shore

religion doesnt teach animosity amongst kins
we all are Hindi and our nation is Hindustaan

Greeks, Coptics and Romans have become history
but we still have name and existence

there is something which keeps us going
despite many in world being our foes for centuries

Iqbaal there is no sympathiser to us
does anyone know our hidden pain ?

'Iqbaal'

Saturday 9 April 2011

hum dil ko bahlayenge aur abhii

साकी, मैखाने में आयेंगे दीवाने और अभी,
महफ़िल  में तेरी छलकेंगे पैमाने और अभी

बैठे लिए हाथों में हाथ, नज़रें होती चार चार
ऐसे गुज़रे ज़माने आयेंगे फिर से और अभी

गफलत में नहीं हूँ मैं, हक-इ-इरफ़ान है मुझे
पर इस दिल को हम बहलाएँगे और अभी
[गफलत = ignorance, हक-इ-इरफ़ान = knowledge of truth]

धुंआ उठता है  दिल से 'मुज़्तरिब' कभी कभी  
आतिश्फिशान से निकलेंगे आतिश और अभी
[आतिश्फिशान = volcano, आतिश = fire]

'मुज़्तरिब'