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Thursday 21 January 2010

Bose diye zameen ko hamne...

बोसे दिए ज़मीं को हमने पड़े पाँव तुम्हारे जिधर को,
आई चाप जिस जानिब तुम्हारी सजदे किये उधर को
[बोसे = kiss; ज़मीं = ground; चाप = sound ; जानिब = direction; सजदे = prostration]

दिल-ए-बिस्मिल की है गुजारिश तुझसे ऐ नावक-अंदाज़
कर नीम नेजा-ए-नज़र की करूँ गर्द दिल-ओ-जिगर को
[दिल-ए-बिस्मिल = wounded heart; गुजारिश = request; नावक-अंदाज़ = archer; नीम=deep; नेजा-ए-नज़र = spear like eyes ; गर्द = dust]

फुरकत-गज़ीदा रहे हम उरूज़-ए-हिज्र में तुम्हारी
आ तमाम कर मुझको या के अपने शाक कहर को
[ फुरकत = seperation; गज़ीदा = struck/beaten; उरूज़-ए-हिज्र = highest point of seperation; तमाम = end; शाक = unbearable; कहर = calamity/punishment]

हसरत-ए-वस्ल-ए-दीदा-ए-जाना ले के हम मर गए
अब क्यूँ वो नज़र गुरेज़ हैं जब तर्क दिया हमने दहर को?
[हसरत-ए-वस्ल-ए-दीदा-ए-जाना = desire of meeting the eyes of beloved, नज़र गुरेज़ = evading eyes, तर्क = renounce; दहर = life]

माना की थे हाजतमंद पर ऐसी भी क्या बेताबी थी,
गए क्यूँ थे उस गली में हुए बेजाँ कई एक नज़र को ?
[हाजतमंद = needy ; बेजाँ = lifeless]

किये आप ही जब मुह्हबत, हुए आप ही जो रुसवा ,
फिर क्यूँ कु-बा-कु कहे 'प्रशांत' , न दो दिल किसी हजर को
[रुसवा = disgrace ; कु-बा-कु = lane to lane; हजर = stone]
'प्रशांत'

Saturday 16 January 2010

Wo saal jo ab guzar gaya

I wanted to post this poem on 31st of 2009 but couldn't do that. Better late than never. My adios to 2009.

टूट के लम्हा बिखर गया
पल पल दिन में सिमट गया
दिन रात मे मिल के ओझल हुआ
और ऐसे ही माह निकल गया
सब चले गये हैं साथ उसके
जो साल अभी गुज़र गया


एक तारा था जो टूट गया
कोई प्यारा था वो रूठ गया
एक आस थी जो बिखर गयी
और साथ किस का छूट गया
सब चले गये है साथ उसके
जो साल अभी गुज़र गया


दे कर मुझको अल्फ़ाज़ गया
उलफत मुझ पे वो वार गया
सपनो को दे कर आकार गया
एक नई उर्जा को संचार गया
नये साल का तोहफा देकर
एक साल था जो अब गुज़र गया

[ अल्फ़ाज़ = words; उलफत =love]

'प्रशांत'