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Friday 23 October 2009

chaak-e-jigar kee fugaan kaisi hogi ?

This is my first attempt at Ghazal writing. For the uninitiated let me explain the structure of a Ghazal. A Ghazal is collection of couplets called sher not necessarily connected with one another. A Ghazal has at least one matla (मतला), one makhta (मखता) and is marked by radeef (रदीफ़) and kaafiya (काफ़िया). The length of a Sher is called Behr (बहर). The repeating word/s at the end of each sher is called Radeef. The Ghazal is known by its matla. Generally matla is the first sher of the ghazal and has radeef in both the lines. The words before radeef are rhyming in nature and are called kaafiya. The last sher in which Shayar uses his takhallus (तखल्लुस) (pen name) is called makhta.

जीस्त है गर ऐसी ,फिर कज़ा कैसी होगी ?
बहार है गर ऐसी ,फिर खिजां कैसी होगी ?
[जीस्त = life, कज़ा = death, बहार = spring, खिजां = autumn]

मेरे नीम शब् की माहताब हो तुम
बिन तुम्हारे ये फ़िज़ा कैसी होगी ?
[नीम = dark, शब् = night, माहताब = moon]

हम बाबस्ता हुए जिनसे  वो संग दिल
जाने कहाँ होगी कैसी होगी ?
[बाबस्ता = related , संग = stone]

रोज़--वस्ल की है जब तीरगी इतनी
फिर शब्--हिज्र की शुआ कैसी होगी ?
[रोज़-ऐ-वस्ल = day of meeting, तीरगी = darkness, शब्-ऐ-हिज्र = night of sepration, शुआ = blackness]

दर्द-ऐ-तगाफुल  का जब ये आलम है  'प्रशांत'
 फिर चाक--जिगर की फुगाँ कैसी होगी ?
[दर्द-ऐ-तागाफूल = pain of being ignored, चाक-ऐ-जिगर = crack in heart, फुगाँ = cry]

'प्रशांत'

Wednesday 21 October 2009

Shehron Mulkon mein jo yeh..

शहरों मुल्कों में जो ये 'मीर' कहाता है मियां,
दीद-नी है पर बहुत कम नज़र आता है मियां
[दीद = vision]
आलम आइना है जिसका वो मुस्सविर बे-मिस्ल
हाए क्या सूरतें पर्दें में बनता है मियां
[आलम = world , आइना = mirror , मुस्सविर=artist मिस्ल = like/example बे-मिस्ल = without example/unique]
किस्मत उस बज्म में लायी की जहाँ का साकी
दे है मय सबको हमको ज़हर पिलाता है मियां
[बज्म = gathering ]
Meer Taqi 'Meer'
Adding my own Makhta to this Ghazal

तर्क-ए-जहाँ को जिसकी इबादत तूने की 'प्रशांत'
वो अब तुम्हें इश्क के सबक सिखलाता है मियां
[तर्क-ए-जहाँ = renounce the world, इबादत = worship]