इक लफ्ज़-ए-मुहब्बत का अदना सा फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक फैले तो ज़माना है
ये किस का तस्सवुर है ये किस का फ़साना है
जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है
[तस्सवुर = imagination, फ़साना = story, तस्बीह का दाना = bead of a rosary ]
हम इश्क के मारों का इतना ही फ़साना है
रोने को नहीं कोई हसने को ज़माना है
वो और वफ़ा दुश्मन मानेगे न माना है
सब दिल की शरारत है आँखों का बहाना है
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम खाकनसीनों की ठोकर में ज़माना है
[खाकनसीनों = one who stays in dirt]
वो हुस्न-ओ-जमाल उनका ये इश्क़-ओ-शबाब अपना
जीने की तमन्ना है मरने का ज़माना है
[हुस्न-ओ-जमाल = beauty & beauty ; इश्क़-ओ-शबाब = love & youth]
या वो थे खफा हम से या हम थे खफा उन से
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
अश्कों के तबस्सुम में आहों के तरन्नुम में
मासूम मोहब्बत का मासूम फसाना है
[तबस्सुम = smile, तरन्नुम = music ]
आँखों में नमी सी है चुप-चुप से वो बैठे हैं
नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फसाना है
है इश्क़-ए-जुनूं पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूं पेशा
आज एक सितमगर को हंस हंस के रुलाना है
ये इश्क़ नहीं आसां इतना तो समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
आंशु तो बहोत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन
बिन्ध जाए सो मोती है रह जाए सो दाना है
जिगर मोरदाबादी
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Adding my makhta to it
कभी आप ही बातें करता है, कभी आप ही पे रोता है
जिंदगी मुzतरिब तेरी खिल्वत-ओ-गम का तानाबाना है
[ he talks to himself and he cries at himself
life of muztarib is enbroidary solitude and pain]
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ik lafz-e-mohabbat kaa adanaa saa fasaanaa hai
सिमटे तो दिल-ए-आशिक फैले तो ज़माना है
ये किस का तस्सवुर है ये किस का फ़साना है
जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है
[तस्सवुर = imagination, फ़साना = story, तस्बीह का दाना = bead of a rosary ]
हम इश्क के मारों का इतना ही फ़साना है
रोने को नहीं कोई हसने को ज़माना है
वो और वफ़ा दुश्मन मानेगे न माना है
सब दिल की शरारत है आँखों का बहाना है
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम खाकनसीनों की ठोकर में ज़माना है
[खाकनसीनों = one who stays in dirt]
वो हुस्न-ओ-जमाल उनका ये इश्क़-ओ-शबाब अपना
जीने की तमन्ना है मरने का ज़माना है
[हुस्न-ओ-जमाल = beauty & beauty ; इश्क़-ओ-शबाब = love & youth]
या वो थे खफा हम से या हम थे खफा उन से
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
अश्कों के तबस्सुम में आहों के तरन्नुम में
मासूम मोहब्बत का मासूम फसाना है
[तबस्सुम = smile, तरन्नुम = music ]
आँखों में नमी सी है चुप-चुप से वो बैठे हैं
नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फसाना है
है इश्क़-ए-जुनूं पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूं पेशा
आज एक सितमगर को हंस हंस के रुलाना है
ये इश्क़ नहीं आसां इतना तो समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
आंशु तो बहोत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन
बिन्ध जाए सो मोती है रह जाए सो दाना है
जिगर मोरदाबादी
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Adding my makhta to it
कभी आप ही बातें करता है, कभी आप ही पे रोता है
जिंदगी मुzतरिब तेरी खिल्वत-ओ-गम का तानाबाना है
[ he talks to himself and he cries at himself
life of muztarib is enbroidary solitude and pain]
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ik lafz-e-mohabbat kaa adanaa saa fasaanaa hai
simaTe to dil-e-aashiq phaile to zamaanaa hai
ye kis kaa tasavvur hai ye kis kaa fasaanaa hai
jo ashk hai aa.Nkho.n me.n tasbiih kaa daanaa hai
ham ishq ke maaro.n kaa itanaa hii fasanaa hai
rone ko nahii.n ko_ii ha.Nsane ko zamaanaa hai
vo aur vafaa-dushman maane.nge na maanaa hai
sab dil kii sharaarat hai aa.Nkho.n kaa bahaanaa hai
kyaa husn ne samajhaa hai kyaa ishq ne jaanaa hai
ham Khaak-nashiino.n kii Thokar me.n zamaanaa hai
vo husn-o-jamaal un kaa ye ishq-o-shabaab apanaa
jiine kii tamannaa hai marane kaa zamaanaa hai
yaa vo the Khafaa ham se yaa ham the Khafaa un se
kal un kaa zamaanaa thaa aaj apanaa zamaanaa hai
ashkon ke tabassum mein aahon ke tarannum mein
maasuum mohabbat kaa maasuum fasaanaa hai
aaNkhon mein namii sii hai chup-chup se vo baiThe hain
nazuk sii nigaahon mein naazuk saa fasaanaa hai
hai ishq-e-junuuN-peshaa haa.N ishq-e-junuu.N-peshaa
aaj ek sitamagar ko haNs haNs ke rulaanaa hai
ye ishq nahin aasaaN itanaa to samajh liije
ye ishq nahin aasaaN itanaa to samajh liije
ek aag kaa dariyaa hai aur Duub ke jaanaa hai
aaNsuu to bahot se hain aaNkhon mein 'Jigar' lekin
bindh jaaye so motii hai rah jaaye so daanaa hai
Jigar Moradabaadi
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Adding my own makhta to it
Kabhi aap hi baatein karta hai, kabhi aap hi pe rota hai,
zindagi muztarib teri Khilvat-o-gam ka taanabaan hai
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Jigar Moradabaadi
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Adding my own makhta to it
Kabhi aap hi baatein karta hai, kabhi aap hi pe rota hai,
zindagi muztarib teri Khilvat-o-gam ka taanabaan hai
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