वो मकाँ नहीं है अब गली के पिछवाड़े में
पर मकीं है दिल के किसी किनारे में
[मकाँ = house; मकीं = tenent]
कब से है इंतज़ार उस हमसफ़र का
बिछड़ गया जो किसी अंधे गलियारे में
बराहमी-ए-जीस्त और ये बे-बसारत
कोई शम्मा जलाये इस अंधियारे में
[बराहमी-ए-जीस्त = confusion of life; बे-बसारत= blindness]
इज़्तिराब कैसा है ज़ेहन में 'मुज़्तरिब'
सुकूँ ना मिले निसाबों में, बाजारों में
[इज़्तिराब = restlessness; मुज़्तरिब' = restless, निसाबों = curriculam/books]
'मुज़्तरिब'
2 comments:
Hey Prashant,
Just saw this blog today, you have done an awsome work on this. Can you post this URL on your FB page etc too, so more people can enjoy reading it, and can start clicking on 'like it'.
Jindal
Pradeep, Thanks nd will surely post it on fb
Post a Comment