आज मैं गया
तो लौट के फिर ना आऊंगा
ये आँखें ना रोक पायेंगी
ये आँखें ना रोक पायेंगी
ये आंसूं ना रोक पायेंगे
तेरी बातें ना रोक पाएंगी
तेरी कसमें ना रोक पायेंगे
तेरी कसमें ना रोक पायेंगे
आज मैं गया
तो लौट के फिर ना आऊंगा
तेरी हंसी मैं भूल जाऊँगा
सारी ख़ुशी मैं भूल जाऊँगा
सारे वादे मैं भूल जाऊँगा
सब इरादे मैं भूल जाऊँगा
आज मैं गया
तो लौट के फिर ना आऊंगा
अधजगी रातें मैं छोड़ जाऊँगा
अनकही बातें मैं छोड़ जाऊँगा
अधूरी मुलाकातें मैं छोड़ जाऊँगा
अतृप्त ज़ज्बातें मैं छोड़ जाऊँगा
आज मैं गया
तो लौट के फिर ना आऊँगा
आधी रातो में किसे जगाओगी
वेवजह किसे सताओगी
कौन देखेगा राह तुम्हारी
किसे अपने किस्से सुनाओगी
रूठोगी, तो कौन तुम्हे मनायेगा
कौन अपने हाथों से खिलायेगा
कौन तुम्हे सब बातें समझायेगा
कौन तुम्हारे सपनो को अपना बनायेगा
फिर ये आँखें भर आयेंगी
अधूरी मुलाकातें मैं छोड़ जाऊँगा
अतृप्त ज़ज्बातें मैं छोड़ जाऊँगा
आज मैं गया
तो लौट के फिर ना आऊँगा
आधी रातो में किसे जगाओगी
वेवजह किसे सताओगी
कौन देखेगा राह तुम्हारी
किसे अपने किस्से सुनाओगी
रूठोगी, तो कौन तुम्हे मनायेगा
कौन अपने हाथों से खिलायेगा
कौन तुम्हे सब बातें समझायेगा
कौन तुम्हारे सपनो को अपना बनायेगा
फिर ये आँखें भर आयेंगी
और खर्जारों से टकराएंगी
नज़र बार बार दरवाजे तक जायेंगी
पर मुझको ना ढूंढ पायेंगी
नज़र बार बार दरवाजे तक जायेंगी
पर मुझको ना ढूंढ पायेंगी
अपने लिए ही सही
रोक लो मुझको तुम आज, की
आज मैं गया
तो लौट के फिर ना आऊंगा
'प्रशांत'
रोक लो मुझको तुम आज, की
आज मैं गया
तो लौट के फिर ना आऊंगा
'प्रशांत'
4 comments:
This is really nice and beautiful poem Prashant. No more words to say. Really beautiful!!!
Shikha, Thanks a lot for the praise.
Bahut khoob PD Singh.
Wow so nice
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