शब्-ओ-रोज़ तुम्हारी याद आयी
माह-ओ-साल तुम्हारी याद आयी
[शब्-ओ-रोज़ = days and nights; माह-ओ-साल = months and years]
आब-ए-अब्र-ए-दैजूर में भींग कर
मुझे तुम्हारी नम आँखें याद आयी
[आब = water; अब्र = cloud; दैजूर = pitch dark; आब-ए-अब्र-ए-दैजूर =rains from dark cloud]
अटखेलती अल्हर दरिया के साहील पे
मुझे तुम्हारी पेच-ओ-ख़म बातें याद आयी
[दरिया = river; साहील = riverside; पेच-ओ-ख़म = twist n turn]
नीम स्याह रातों के साए में
मुझे तुम्हारी सर-ए-काकुल की याद आयी
[नीम स्याह = dark black; सर-ए-काकुल = curls of hair]
तिफ्ल-ए-शाद के कहकहे सुन
मुझे तुम्हारी मासूमियत याद आयी
[तिफ्ल-ए-शाद = happy child; कहकहे = laughter]
नूर-ए-माह-ए-कामिल को देखा तो
मुझे तुम्हारी रुख-ए-रौशन की याद आयी
[नूर = light; माह-ए-कामिल = full moon; रुख-ए-रौशन = bright face]
शम्स-ए-नीमरोज़ की ताब से
मुझे तुम्हारी सर्गारानियाँ याद आयी
[शम्स-ए-नीमरोज़ = midday sun; ताब = heat; सर्गारानियाँ = anger]
पहली बारिश की भीगी हवाओं में
मुझे तुम्हारी खद-ए-मुस्क्बार की याद आयी
[खद-ए-मुस्क्बार = body smelling like musk]
माना की है मजाज़ी ,पर 'मुज़्तरिब' को
जानेमन हर पल तुम्हारी बहुत याद आयी
[मजाज़ी = illusioned; ]
'मुज़्तरिब'
3 comments:
Yaad teri kabhi dastak kabhi sargoshi se raat ke peechle pahar roz jagati hai humein
आब-ए-अब्र-ए-दैजूर में भींग कर
मुझे तुम्हारी नम आँखें याद आयी
हमेशा की तरह अच्छा लिखा है. ऑफिस में blogspot नहीं खुलता, proxy से आपकी शायरी पढनी पड़ती है .
- Bhaiyyu
Dear Bhaiyyu, Thanks for your appreciation.
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