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Sunday, 16 May 2010

shab-o-roz tumhari yaad aayi

शब्-ओ-रोज़ तुम्हारी  याद आयी
माह-ओ-साल तुम्हारी याद  आयी
[शब्-ओ-रोज़ = days and nights; माह-ओ-साल = months and years]

आब-ए-अब्र-ए-दैजूर में भींग कर
मुझे तुम्हारी नम आँखें याद आयी
[आब = water; अब्र = cloud; दैजूर = pitch dark; आब-ए-अब्र-ए-दैजूर =rains from dark cloud]

अटखेलती अल्हर दरिया के साहील पे
मुझे तुम्हारी पेच-ओ-ख़म बातें  याद आयी 
[दरिया = river; साहील = riverside; पेच-ओ-ख़म =  twist n turn]

नीम स्याह  रातों के साए में
मुझे तुम्हारी सर-ए-काकुल की याद आयी
[नीम स्याह = dark black; सर-ए-काकुल = curls of hair]

तिफ्ल-ए-शाद के कहकहे सुन
मुझे तुम्हारी मासूमियत  याद आयी
[तिफ्ल-ए-शाद = happy child; कहकहे = laughter]

नूर-ए-माह-ए-कामिल को देखा तो
मुझे तुम्हारी रुख-ए-रौशन  की याद आयी
[नूर = light; माह-ए-कामिल = full moon; रुख-ए-रौशन = bright face]

शम्स-ए-नीमरोज़ की ताब से
मुझे तुम्हारी सर्गारानियाँ याद आयी
[शम्स-ए-नीमरोज़ = midday sun; ताब = heat; सर्गारानियाँ = anger]

पहली बारिश की भीगी हवाओं में
मुझे तुम्हारी खद-ए-मुस्क्बार की याद आयी
[खद-ए-मुस्क्बार = body smelling like musk]

माना की है मजाज़ी ,पर 'मुज़्तरिब' को
जानेमन हर पल तुम्हारी बहुत याद आयी
[मजाज़ी = illusioned; ]
'मुज़्तरिब'

3 comments:

Anonymous said...

Yaad teri kabhi dastak kabhi sargoshi se raat ke peechle pahar roz jagati hai humein

Anonymous said...

आब-ए-अब्र-ए-दैजूर में भींग कर
मुझे तुम्हारी नम आँखें याद आयी


हमेशा की तरह अच्छा लिखा है. ऑफिस में blogspot नहीं खुलता, proxy से आपकी शायरी पढनी पड़ती है .

- Bhaiyyu

Prashant said...

Dear Bhaiyyu, Thanks for your appreciation.