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Wednesday 21 October 2009

Aake Sajjada Nashin

आके सज्जादानशीं  कैस  हुआ मेरे बाद,
न रही दश्त में खाली कोई जा मेरे बाद
[सज्जादानशीं = saint/dervish ,कैस = Real neame of majnoo, दश्त = wilderness/desert/ ]

चाक  करना है इसी गम से गिरेबान-ए-कफ़न
कौन खोलेगा तेरे बंद-ए-क़बा मेरे बाद
[चाक = torn, गिरेबान = collar, कफ़न = shroud, बंद-ए-क़बा = Closed Gown]

वो हवा खा है चमन के, चमन में हर सुभ
पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा मेरे बाद
[सुभ = Morning, बाद = wind , सबा = wind/Breeze]

तेज़ रखना सरे हर खार को  अए  दश्त-ए-जुनूं
शायद आ जाए कोई आबला पा मेरे बाद
[खार = thorn, दश्त-ए-जुनूं = extreme desert, आबला पा = blistered feet]

मुह पे रख दामन-ए-गुल रोयेंगे मुर्गान-ए-चमन
हर रविश ख़ाक उडाएगी सबा मेरे बाद
[दामन = Skirt, गुल = flower, मुर्गान = birds, रविश = behaviour ,  सबा = wind]

बाद मरने के मेरे कब्र पे आया वो 'मीर'
याद आयी मेरे ईसा को  दवा  मेरे बाद
Meer Taqi 'Meer'

Adding my Maqta to this ghazal

हयात-ए-क़फ़स में बा-मर्ग है 'प्रशांत'
 यहाँ आएगा न कोई मुझ जैसा मेरे बाद
[हयात-ए-क़फ़स = Prison of Life; बा-मर्ग = towards death]

Monday 12 October 2009

ek khalish ko haasil-e-umr-e-ravaa.N rahne dia

एक खलिश को हासिल-ए-उम्र-ए-रवां रहने दिया
जान कर हमनें उन्हें ना मेहरबां रहने दिया
[ खलिश = pain  रवां = moving/continue, हासिल = gain/Result]
कितनी दीवारों के साए हाथ फैलाते रहे
इश्क नें लेकिन हमें बेखानुमा  रहने दिया
[बेखानुमा = without love]
अपने अपने हौसले अपनी तलब की बात ही
चुन लिया हमने उन्हें सारा जहाँ रहने दिया

यह भी क्या जीने में जीना है बैगैर उनके अदीब,
शम्मा गुल कर दी गयी बाकी धुआं  रहने दिया

'अदीब सहारनपुरी'

I am putting my Maqta to this Ghazal.

अगरचे खू-ए-खूबां है ये पर दिल न माने है 'प्रशांत'
ले ली हंसी मेरी और लब पे फुगाँ रहने दिया
[अगरचे = though; खू = habit; खूबां = beautiful ; फुगाँ = cry]



Monday 5 October 2009

Main khayal hoon kisi aur ka

मैं ख्याल हूं किसी और का मुझे सोचता कोई और है,
सरे आइना मेरा अक्स है पसे आइना कोई और है
[सरे = In front of, अक्स = Reflection, पसे = Behind]

मैं किसी के दस्त-ऐ-तलब में हूं तो किसी के हर्फ़-ऐ-दुआ में हूं,
मैं नसीब हूं किसी और का मुझे मांगता कोई और है
[दस्त-ऐ-तलब = hands of Pleading/Pursuit, हर्फ़-ऐ-दुआ = words of blessing]

कभी लौट आए तो न पूछना सिर्फ़ देखना बड़े गौर से,
जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई की ये रास्ता कोई और है

अजब ऐतेबार-ओ-बेऐतबार के दरमियाँ है ज़िंदगी,
मैं करीब हूं किसी और के मुझे जनता कोई और है
[ऐतेबार-ओ-बेऐतबार = trust and distrust, दरमियाँ = between]

तुझे दुश्मनो की ख़बर न थी, मुझे दोस्तों का पता नहीं ,
तेरी दास्ताँ कोई और थी मेरा वाक्या कोई और है
[दास्ताँ / वाक्या= story, happening]

वही मुन्शिफों की रिवायतें, वही फैसलों की इबारतें,
मेरा जुर्म तो कोई और था, यह मेरी सज़ा कोई और है
[मुन्शिफों = judges, रिवायतें = tradition, फैसलों = judgements, इबारतें = compositions/compilations]

तेरी रोशनी मेरी खद्दो-खाल से मुख्तलिफ तो नहीं मगर,
तू करीब आ तुझे देख लूँ तू वही है या कोई और है
[खद्दो-खाल = body, मुख्तलिफ = different]

जो मेरी रियाज़त-ऐ-नीम-शब् को सलीम सुबहों न मिल सकी,
तो फिर इसके माने तो ये हुए की यहाँ खुदा कोई और है
[रियाज़त = spiritual practice/Discipline , नीम-शब् = dark night ]
'Saleem Kausar'
Mehdi Saab's rendition is embedded below

Putting my own Maqta to this Gazal:

'प्रशांत' जीस्त ना अपनी जी सका उसके वादे पे ऐतबार कर
पर क्या गिला करे उससे वो वो नहीं कोई और है
[जीस्त = Life, गिला = complain]