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Friday, 6 May 2011

इक नज़्म इक ग़ज़ल 'फैज़' की



iss waqt to yun lagta hai kahin kutch bhee nahin hai

इस वक़्त तो यूँ लगता है कहीं कुछ भी नहीं है
महताब न सूरज न अँधेरा न सवेरा
आँखों के दरीचों  में किसी हुस्न की चिलमन
और दिल की पनाहों  में किसी दर्द का डेरा
शाखों में ख्यालों की घनी पेड़ की शायद
अब आके करेगा न कोई ख़ाब बसेरा
शायद वो  कोई वहम था मुमकिन है सुना हो
गलियों में किसी  चाप का इक आखिरी फेरा
अब बैर न उल्फत  न रब्त न रिश्ता
अपना कोई तेरा न पराया कोई मेरा
माना की ये सुनसान घडी सख्त घडी है
लेकिन मेरे दिल यह तो फकत एक घडी है
हिम्मत करो जीने  को अभी उम्र पड़ी है

[महताब = moon, चिलमन = veil; उल्फत = love, रब्त = dearness/closeness; फकत = mere ]

फैज़ अहमद 'फैज़'

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nahin nigaah mein manzil to justjuu he sahi

नहीं निगाह में मंजिल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मुयस्सर तो आरजू ही सही
[ जुस्तजू = desire, विसाल = meeting; मुयस्सर = possible ]


न तन में खून फराहम न अश्क आँखों में
नवाज़-ए-शौक़ तो वाजिब है बे-वज़ू ही सही
[ फराहम = gathered at one place, अश्क = tears; नवाज़-ए-शौक़ = prayer; बे-वज़ू = without abulation ]

किसी तरह तो जमे बज़्म मैकदों वालों
नहीं जो बादा-ओ-सागर तो हां-ओ-हू ही सही
[बज़्म = gaterhing; मैकदों वालो = winers;बादा-ओ-सागर = wine and wine holder; हां-ओ-हू = encore]


है इंतज़ार कठिन तो जब तलक ये दिल
किसी के वादा-ए-फर्दा की गुफ्तगू ही सही
[वादा-ए-फर्दा = promise for tommorow; गुफ्तगू = conversation]


दयार-ए-गैर में  मरहम अगर नहीं कोई
तो 'फैज़' ज़िक्र-ए-वतन अपने रू-बा-रू ही सही
[दायर-ए-गैर = alien land; ज़िक्र-ए-वतन = mention of homeland;रू-बा-रू = face to face]

फैज़ अहमद 'फैज़'

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Monday, 2 May 2011

Ab ke Tajdeed-e-wafa ka nahin imkaan jaana

  

अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानां
याद क्या तुझ को दिलाये तेरा पैमां जानां
[तजदीद-ए-वफ़ा = renewal of love/loyalty; इम्काँ = possibility; पैमां = promise]

यूं ही मौसम की अदा देख के याद आया है
किस कदर जल्द बदल जाते हैं इंसां जानां

ज़िंदगी तेरी अता थी तो तेरे नाम की है
हम ने जैसे भी बसर की तेरा एह्साँ जानां

दिल यह कहता है की शायद हो फ़सुर्दा तू भी
दिल की क्या बात करें दिल तो है नादां जानां
[फ़सुर्दा = sad]

अवल अवल की मुहब्बत के नशे याद तो कर
बेपिये भी तेरा चेहरा था गुलिस्तान जानां
[अवल अवल = first/ early]

आखिर आखिर तो ये आलम है की अब होश नहीं
रग-ए-मीना सुलग उठी की रग-ए-जां जानां
[रग-ए-मीना = viens of wineholder;]

मुद्दतों से ये आलम न तवक्को न उम्मीद
दिल पुकारे हे चला जाता है जानां जानां
[तवक्को = expectation]

हम भी क्या सादा थे हम ने भी समझ रखा था
गम-ए-दौरां से जुदा है गम-ए-जां जानां
[गम-ए-दौरां = sorrows of world; गम-ए-जां = sorrows of life]

अब के कुछ ऐसी सजी महफ़िल-ए-यारां जानां
सर-बा-जानू है कोई सर-बा-गिरेबां जानां
[सर-बा-जानू = head on knees; सर-बा-गिरेबां = head on neck]

हर कोई अपनी ही आवाज़ से काँप उठता है
हर कोई अपने ही साए से है हैराँ जानां

जिसको देखो वही ज़ंजीर-बा-पा लगता है
शहर का शहर हुआ दाखिल-ए-ज़िन्दां जाना
[ज़ंजीर-बा-पा = feet in chain; दाखिल-ए-ज़िन्दां = in jail]

अब तेरा ज़िक्र भी शायद ही ग़ज़ल में आये
और से और हुआ दर्द का उन्वाँ जानां
[उन्वाँ = start of book]

हम की रूठी हुई रुत को भी मना लेते थे
हम ने देखा ही नहीं था मौसम-ए-हिज्राँ जानां
[मौसम-ए-हिज्राँ = season of separation]

होश आये तो सभी ख़्वाब थे रेज़ा रेज़ा
जैसे उड़ते हुए औराक़-ए-परेशां जानां
[रेज़ा = torn; औराक़-ए-परेशां = strewn pages of a book]

अहमद 'फ़राज़'

Adding my makhta to this

वस्ल मुमकिन नहीं  है अपना जानां
'मुज़्तरिब' चिराग-ए-नातवाँ   है और तू तूफां जानां
[वस्ल  = meeting ; चिराग-ए-नातवाँ  = flickering lamp, तूफां = storm]