आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
इतना मानूस न हो खिलवत-ए-गम से अपनी
तू अगर खुद को भी देखेगा तो दर जाएगा
[मानूस =intimate; खिलवत-ए-गम=sorrow of loneliness]
तुम सर-ए-राह-ए-वफ़ा देखते रह जाओगे
और वो बाम-ए-रफ़ाक़त से उतर जाएगा
[सर-ए-राह-ए-वफ़ा=path of love; बाम-ए-रफ़ाक़त=responsibility towards love]
ज़िन्दगी तेरी अता थी तो ये जानेवाला
तेरी बक्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जाएगा
[अता=gift; बक्शीश=donation; दहलीज़ =doorstep]
डूबते डूबते कश्ती को उछाला दे दूँ
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जाएगा
ज़ब्त लाजिम है मगर दुःख है क़यामत का फ़राज़
जालिम अब के भी न रोयेगा तो मर जाएगा
अहमद 'फ़राज़'
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Adding my makhta to this
मुज़्तरिब चलो फिर कू-ए-कातिल की तरफ
गर ज़िंदगी उस गली में नहीं तो कहाँ जाएगा
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aa.Nkh se duur na ho dil se utar jaayegaa
vaqt kaa kyaa hai guzarataa hai guzar jaayegaa
itanaa maanuus na ho Khilvat-e-Gam se apanii
tuu kabhii Khud ko bhii dekhegaa to Dar jaayegaa
tum sar-e-raah-e-vafaa dekhate rah jaaoge
aur vo baam-e-rafaaqat se utar jaayegaa
zindagii terii ataa hai to ye jaanevaalaa
terii baKhshiish terii dahaliiz pe dhar jaayegaa
Duubate Duubate kashtii to ochhaalaa de duun
mai.n nahii.n ko_ii to saahil pe utar jaayegaa
zabt laazim hai magar dukh hai qayaamat kaa 'Faraz'
zaalim ab ke bhii na royegaa to mar jaayegaa
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