Thursday, 31 July 2008

wo jo hum mein tum mein karar tha

जिंदगी से कुछ लम्हों और पलों को तर्क दें तो जिंदगी बेमानी हो जाती है। खल्क कहेगी की यह एक लम्बी सफर है तो मैं कहूँगा की अगर लम्बी है तो जिंदगी नहीं बस वक्त का गुज़रना है। अगर आप शाद हैं तो बस एक पल के लिए हैं। तमाम उम्र गर शाद रही तो मैं कहूँगा उम्र एक पल में गुज़र गई। जिसे लोग जीस्त कहतें है वो नशा है कुछ पलों का। जब होश आता है तो सामने होता है नशे का गुबार एक अकेलापन, सुकुउत और उन लम्हों के निशान।

ऐसी ही एक निशान को हकीम मोमिन खान ने ग़ज़ल का रूप दिया है। कई सुखनवर इसे उर्दू मौसिकी की सबसे बेहतरीन ग़ज़ल मानते हैं , पर मैं इसे मज़हर कहूँगा एक मुज़्तरिब शायर की याद और बेबसी का । ग़ज़ल कुछ इस तरह है:


वो जो हम में तुम में करार था तुम्हें याद हो की न याद हो,
वहीं यानी वादा निबाह का तुम्हे याद हो की न याद हो ।

[करार = peace, calm]

वो नए गिले वो शिकायतें वो मजे मजे की हेकायतें ,
वो हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो की न याद हो।
[हेकायतें = stories]

कोई बात अगर ऐसी हुई जो तुम्हारे जी को बुरी लगी,
तो बयां से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो की न याद हो।



सुनो ज़िक् है किसी साल का, वो वादा मुझसे था आप का,
वो निबाहने का ज़िक्र क्या, तुम्हें याद हो की न याद हो।

कभी हम में तुम में भी चाह थी , कभी हम में तुम में भी राह थी,
कभी हम भी तुम भी थे आशना तुम्हें याद हो की न याद हो।

[ चाह = affection, राह = understanding, आशना= friends]

हुए इत्तेफाक से अगर बहम , वो वफ़ा जताने को दम-ब-दम,
गिला-ऐ-मलामत-ऐ -अर्क़बा , तुम्हे याद हो की न याद हो।
[ इत्तेफाक = coincedence, बहम = togeather, गिला-ऐ-मलामत-ऐ -अर्क़बा = catechism of complaints ]
वो जो लुत्फ़ मुझ पे था बेशतर , वो करम के हाथ मेरे हाथ पर,
मुझे सब है याद ज़रा ज़रा, तुम्हें याद हो के न याद हो।
[ लुत्फ़ = fun, बेशतर = continuous]

कभी बैठे सब रू-बा-रू तो इशारतों से हे गुफ्तगू,
वो बयां शौक़ का बरमला तुम्हे याद हो के न याद हो।
[ रू-बा-रू = face to face, इशारतों = signs, गुफ्तगू = conversation,बयां = rendition, बरमला = openly]
वो बिगड़ना वस्ल की रात का; वो न मानना किसी भी बात का,
वो नहीं नहीं की हर आन अदा, तुम्हें याद हो की न याद हो।

[ वस्ल = meeting]

जिसे आप गिनते थे आशना , जिसे आप कहते थे बावफा,
मैं वही हूँ मोमिन-ऐ-मुब्त्ल्ला तुम्हे याद हो की न याद हो।
[ आशना = friend बावफा = fiedel मोमिन-ऐ-मुब्त्ल्ला = Momin - the lover ]

मोमिन पेशे से हकीम थे इस लिए इन्हे हकीम मोमिन कहा जाता है. यह ग़ालिब, ज़ौंक़ और ज़फ़र के हम उम्र थे।
[तर्क (remove) , खल्क (world), शाद (happy), जीस्त (Life),गुबार (cloud of dust), सुकुउत (silence), सुखनवर (poets), मज़हर (manifestation), मुज़्तरिब (sad,restless) ]










4 comments:

  1. Hey PD great work again, must have spent a lot of time and energy on this post..

    I will keep on reading it till i can feel an improvement in my hindi vocab!

    Good Day!

    ReplyDelete
  2. Hi Pooja,
    Thanks a lot.
    I had spent about 5-6 hours over this post. Will try to post another one soon.
    PD

    ReplyDelete
  3. waiting for your next thoughtful creation!

    ReplyDelete
  4. 'Karar' here means promise and not calm/peace.

    Anyway, good work. Please keep it up.
    Regards,
    A

    ReplyDelete