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Saturday 9 April 2011

hum dil ko bahlayenge aur abhii

साकी, मैखाने में आयेंगे दीवाने और अभी,
महफ़िल  में तेरी छलकेंगे पैमाने और अभी

बैठे लिए हाथों में हाथ, नज़रें होती चार चार
ऐसे गुज़रे ज़माने आयेंगे फिर से और अभी

गफलत में नहीं हूँ मैं, हक-इ-इरफ़ान है मुझे
पर इस दिल को हम बहलाएँगे और अभी
[गफलत = ignorance, हक-इ-इरफ़ान = knowledge of truth]

धुंआ उठता है  दिल से 'मुज़्तरिब' कभी कभी  
आतिश्फिशान से निकलेंगे आतिश और अभी
[आतिश्फिशान = volcano, आतिश = fire]

'मुज़्तरिब'

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