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Thursday 2 December 2010

halka halka suroor rehta hai..

उदी उदी सी घटायें आती हैं, मुतरिबों के नवायें  आती हैं,

किसके गेसू खुले हैं सावन में, महकी महकी सी हवाएं आती हैं,

आ सहन-ए-चमन में रस्क करें, साज़ ले के घटायें आती हैं,

देख कर उनकी अंख्दियों  को अदम, मैकदों को हयाएं आती हैं,

पास रहता है दूर रहता है, कोई दिल में ज़रूर रहता है,

जब से देखा है उनकी आँखों को, हल्का हल्का सुरूर रहता है,

वो मेरे दिल में हैं ऐसे, जैसे ज़ुल्मत में नूर रहता है,

अब अदम का ये हाल है हर वक़्त, मस्त रहता है चूर रहता है.

[उदी = purple, घटायें = clouds,मुतरिबों = musicians,नवायें = music, गेसू = tresses, सहन-ए-चमन = backyard of garden, रस्क = dance; ज़ुल्मत = darkness, नूर = light]

1 comment:

Anonymous said...

beautifully sung by Nusrat Ali khan ....