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Wednesday 27 October 2010

Aaj Baazar mein paabajaulaa chaloo..

आज बाज़ार में पाबजौला चलो
चस्म-ए-नम , जाँ-ए-शोरीदा काफी नहीं
तोहम-ए-इश्क पोशीदा काफी नहीं
आज बाज़ार में पाबजौला चलो
[पाबजौला = in fetter, चस्म-ए-नम = moist eyes, जाँ-ए-शोरीदा = sad soul, पोशीदा = concealed]

दस्त-ए-अफशां चलो, मस्त-ओ-रक्सां चलो
खाक बरसर चलो खूबदामां चलो
राह ताकता है सब शहर-ए-जाना चलो
[दस्त-ए-अफशां = clapping/rotating hands; मस्त-ओ-रक्सां = mad dancers; खाक बरसर = laborers, खूबदामां = drenched in blood];

हाकिम-ए-शहर भी, मुहब-ए-आम भी
तीर-ए-इलज़ाम भी, संग-ए-दुशनाम भी
सुबह-ए-नाशाद भी, रोज़-ए-नाकाम भी
इनका दमसाज़ अपने सिवा कौन है
शहर-ए-जाना में अब वासफा कौन है
दस्त-ए-कातिल के शायां रहा कौन है
रुखसत-ए-दिल बाँध लो, दिलफिगारो चलो
फिर हमही क़त्ल हों आये यारो चलो |
[हाकिम-ए-शहर = officers of town, मुहब-ए-आम = common man, संग-ए-दुशनाम = infamous, शायां = capable, दिलफिगारो = wounded heart]
फैज़ अहमद 'फैज़'

2 comments:

Anonymous said...

बहुत धन्यवाद .. इतनी शानदार लाइनें पोस्ट करने के लिए ...
हृदयेश जोशी

Anonymous said...

बहुत धन्यवाद .. इतनी शानदार लाइनें पोस्ट करने के लिए ...
हृदयेश जोशी