Search This Blog

Tuesday 7 September 2010

Wo walwale nahi rahi guftaari kee..

हुई थी क़रार जिनसे ताउम्र यारी की
पेशानी पे उनके शिकन है बेज़ारी की
[क़रार = pact; ताउम्र = for life, पेशानी = forehead, बेज़ारी = displeasure]

रक़्स करती थी जिंदगी इक इशारे पे
रही ना कुव्वत अब उस इख्तियारि की
[रक़्स = dance, कुव्वत = power; इख्तियारि = control]

हाल-ए-जीस्त की बयानी क्या करूँ
वो  वलवले  नही रही गुफ्तारी की
[हाल-ए-जीस्त = tale of life; बयानी = recite, वलवले = enthusiasm, गुफ्तारी = to speak]

लब पे हँसी लिए फिरते हो 'मुज़्तरिब'
बहुत जी चुके ये ज़िंदगी मुख्तारी की
[मुख्तारी = proxy]
'मुज़्तरिब'

No comments: