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Sunday 23 May 2010

jahaaz ka panchi

मर कर भी मुझको कहाँ चैन आया,
पंछी हूं जहाज़ का वापस जहाज़ पे आया

गोश-ए-मुहब्बत ना सुने तल्खियाँ ज़माने की
दर पे संगदिल के फिर से लौट कर आया
[गोश-ए-मुहब्बत = deaf love; तल्खियाँ = bitterness]

इश्क-ओ-दर्द को लफ़्ज़ों में बयाँ रखा है  
पर  ख़त भेजूं  कैसे  कासिद आज नहीं आया
[इश्क-ओ-दर्द = love and pain; कासिद = messenger]

बड़ी उम्मीद से माँगा था खुदा से मैंने तुम्हे
रुसवाई के सिवा कुछ और ना हाथ आया

तलाशती है निगाहें मेरी तुम्हें इस शहर में
दहर में मुझे बस बियांबां ही  नज़र आया
[दहर = life; बियांबां = vacuum/emptiness]

 तंग-ए-दिल से कोई जीस्त गुरेज़ हुआ है आज
इस  हादसे से 'मुज़्तरिब' तू बहुत याद आया 
[तंग-ए-दिल =  troubled heart, जीस्त गुरेज़ = escape from life]
'मुज़्तरिब'

1 comment:

Anonymous said...

Very nice sir. Liked the vaccum in city part. - Bhaiyyu