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Thursday 29 October 2009

yeh teri nazar ka khumaar hai.

न गुल है न खार है
बस ये तेरी नज़र का खुमार है
[गुल = flower, खार = thorn, खुमार = intoxication/hallucination]

जो  हमें देता था  ज़िन्दगी के मशवरे  कल तलक  
आज मेरे घर के जानिब उसका  मजार है
[मशवरे = suggestion, जानिब = sideways/direction, मजार = grave]

तू उस मुस्सविर का है इक नक्श बस
और इस नक्श के ताबीर हज़ार है
[मुस्सविर = artist; नक्श = brushstroke; ताबीर = interpretation/reality ]

जो तू पढता है मसलिहत  के फतवे दानिश
क्या खुद अपनी जिन्दगी पे तेरा इख्तियार है ?
[ मसलिहत = prudent measures/agood things, फतवे = decree; दानिश = intellectual; इख्तियार = control ]

जब माबूद-ओ-बन्दे का सामना होगा
उस वक़्त-ए-क़यामत का हमें कब से इन्तिज़ार है
[ माबूद = one who is worshiped, बन्दे = followers ]

ये जो तू फिलासुफ़ बना फिरता है 'प्रशांत'
तो फिर ये कैसा बेजार-ओ-इजतिराब है?
[ फिलासुफ़ = philosopher ;  बेजार-ओ-इजतिराब =  displeasure and restlessness ]

'प्रशांत'

Tuesday 27 October 2009

Sukuut ho gayi ek guftaar

खूं गर हुआ जबीं सजदा-ए-राना  करते करते
मुज्महिल हों गया कुवा  इश्क को जवां करते करते
[जबीं = forehead ; सजदा-ए-राना = worship of the beauty; मुज्महिल = extinguish; कुवा = power]

कभी तो अए संगदिल  इस चिलमन से बाहर निकल
उम्र गुजरी है मेरी तेरी हम्द-ओ-सना करते करते
[संगदिल = stonehearted; चिलमन = veil; हम्द-ओ-सना = praise]

दीद-ए-पैकर-ए-जाना की चाह में जिंदा हूँ
 थम रही है सांस मेरी ज़िन्दगी फना करते करते
[दीद-ए-पैकर-ए-जाना = sight of the face of the beloved; फना = destroy]

कौन कहता है आशुफ्तागरी मुश्किल है, देखो
क्या खोया है मैंने रस्म-ए-जहां-रवां करते करते
[आशुफ्ता गरी = madness ; रस्म-ए-जहां-रवां = to continue with customs of world]

 जानता था की न होगा फ़राज़-ए-अर्श मेरा
मैं गुनाह करता गया इश्क-ए-निहां करते करते
[फ़राज़-ए-अर्श = ascent to heaven ; इश्क-ए-निहां = hiding of love]

हों गया पिन्हाँ 'प्रशांत' ज़हान की भीड़ में,
सुकूत हों गयी इक गुफ्तार इश्क-ए-बयाँ करते करते
[पिन्हाँ = hidden, सुकूत = silence; गुफ्तार = voice/ speech ; इश्क-ए-बयाँ = recitation of love]
'प्रशांत'

Friday 23 October 2009

Fikr hee tehri tou dil ko fikr-e-khubaan kyun na ho?

फ़िक्र ही ठहरी तो दिल को फ़िक्र-ए-खूबां क्यूँ न हों ?
ख़ाक होना है तो ख़ाक-ए-कू-ए-जाना क्यूँ न हों ?
[फ़िक्र = tension/stress, खूबां = beautiful/Beloved , ख़ाक = annihiliate, कू-ए-जाना = lane of beloved ]

जीस्त है जब मुस्तकिल आवारागर्दी ही का नाम,
अक्ल वालों फिर तवाफ़-ए- कू-ए-जाना क्यूँ न हों ?
[मुस्तकिल  = continuous, तवाफ़ = greeting of sacred/Circumbulation]

इक  न  इक  रीफत के आगे सजदा लाजिम है तो फिर
आदमी महव-ए-सजूद-ए-सिर-ए-खूबां क्यूँ न हों ?
[रीफत = loftiness/peak ; सजदा = prostrate/prayer, महव = drown/immerse सजूद = prostrate ]

इक न इक ज़ुल्मत से जब बाबस्ता रहना है तो  'जोश'
जिन्दगी पर साया-ए-जुल्फ-ए-परीशान क्यूँ न हों ?
' जोश  मलीहाबाद'

Appending my makhta to it.
शब्-ओ-रोज़ की तल्खियों  से जब मुज्महिल रहना है 'प्रशांत'
जिंदगी फिर ज़ेर-ए-पा-ए-जाना  क्यूँ न हों ?
[शब्-ओ-रोज़ = night and day, तल्खियों = bitterness, मुज्महिल = distressed/disappointed, ज़ेर-ए-पा-ए-जाना = beneath the beloved's feet]

chaak-e-jigar kee fugaan kaisi hogi ?

This is my first attempt at Ghazal writing. For the uninitiated let me explain the structure of a Ghazal. A Ghazal is collection of couplets called sher not necessarily connected with one another. A Ghazal has at least one matla (मतला), one makhta (मखता) and is marked by radeef (रदीफ़) and kaafiya (काफ़िया). The length of a Sher is called Behr (बहर). The repeating word/s at the end of each sher is called Radeef. The Ghazal is known by its matla. Generally matla is the first sher of the ghazal and has radeef in both the lines. The words before radeef are rhyming in nature and are called kaafiya. The last sher in which Shayar uses his takhallus (तखल्लुस) (pen name) is called makhta.

जीस्त है गर ऐसी ,फिर कज़ा कैसी होगी ?
बहार है गर ऐसी ,फिर खिजां कैसी होगी ?
[जीस्त = life, कज़ा = death, बहार = spring, खिजां = autumn]

मेरे नीम शब् की माहताब हो तुम
बिन तुम्हारे ये फ़िज़ा कैसी होगी ?
[नीम = dark, शब् = night, माहताब = moon]

हम बाबस्ता हुए जिनसे  वो संग दिल
जाने कहाँ होगी कैसी होगी ?
[बाबस्ता = related , संग = stone]

रोज़--वस्ल की है जब तीरगी इतनी
फिर शब्--हिज्र की शुआ कैसी होगी ?
[रोज़-ऐ-वस्ल = day of meeting, तीरगी = darkness, शब्-ऐ-हिज्र = night of sepration, शुआ = blackness]

दर्द-ऐ-तगाफुल  का जब ये आलम है  'प्रशांत'
 फिर चाक--जिगर की फुगाँ कैसी होगी ?
[दर्द-ऐ-तागाफूल = pain of being ignored, चाक-ऐ-जिगर = crack in heart, फुगाँ = cry]

'प्रशांत'

Wednesday 21 October 2009

Shehron Mulkon mein jo yeh..

शहरों मुल्कों में जो ये 'मीर' कहाता है मियां,
दीद-नी है पर बहुत कम नज़र आता है मियां
[दीद = vision]
आलम आइना है जिसका वो मुस्सविर बे-मिस्ल
हाए क्या सूरतें पर्दें में बनता है मियां
[आलम = world , आइना = mirror , मुस्सविर=artist मिस्ल = like/example बे-मिस्ल = without example/unique]
किस्मत उस बज्म में लायी की जहाँ का साकी
दे है मय सबको हमको ज़हर पिलाता है मियां
[बज्म = gathering ]
Meer Taqi 'Meer'
Adding my own Makhta to this Ghazal

तर्क-ए-जहाँ को जिसकी इबादत तूने की 'प्रशांत'
वो अब तुम्हें इश्क के सबक सिखलाता है मियां
[तर्क-ए-जहाँ = renounce the world, इबादत = worship]

Aake Sajjada Nashin

आके सज्जादानशीं  कैस  हुआ मेरे बाद,
न रही दश्त में खाली कोई जा मेरे बाद
[सज्जादानशीं = saint/dervish ,कैस = Real neame of majnoo, दश्त = wilderness/desert/ ]

चाक  करना है इसी गम से गिरेबान-ए-कफ़न
कौन खोलेगा तेरे बंद-ए-क़बा मेरे बाद
[चाक = torn, गिरेबान = collar, कफ़न = shroud, बंद-ए-क़बा = Closed Gown]

वो हवा खा है चमन के, चमन में हर सुभ
पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा मेरे बाद
[सुभ = Morning, बाद = wind , सबा = wind/Breeze]

तेज़ रखना सरे हर खार को  अए  दश्त-ए-जुनूं
शायद आ जाए कोई आबला पा मेरे बाद
[खार = thorn, दश्त-ए-जुनूं = extreme desert, आबला पा = blistered feet]

मुह पे रख दामन-ए-गुल रोयेंगे मुर्गान-ए-चमन
हर रविश ख़ाक उडाएगी सबा मेरे बाद
[दामन = Skirt, गुल = flower, मुर्गान = birds, रविश = behaviour ,  सबा = wind]

बाद मरने के मेरे कब्र पे आया वो 'मीर'
याद आयी मेरे ईसा को  दवा  मेरे बाद
Meer Taqi 'Meer'

Adding my Maqta to this ghazal

हयात-ए-क़फ़स में बा-मर्ग है 'प्रशांत'
 यहाँ आएगा न कोई मुझ जैसा मेरे बाद
[हयात-ए-क़फ़स = Prison of Life; बा-मर्ग = towards death]

Monday 12 October 2009

ek khalish ko haasil-e-umr-e-ravaa.N rahne dia

एक खलिश को हासिल-ए-उम्र-ए-रवां रहने दिया
जान कर हमनें उन्हें ना मेहरबां रहने दिया
[ खलिश = pain  रवां = moving/continue, हासिल = gain/Result]
कितनी दीवारों के साए हाथ फैलाते रहे
इश्क नें लेकिन हमें बेखानुमा  रहने दिया
[बेखानुमा = without love]
अपने अपने हौसले अपनी तलब की बात ही
चुन लिया हमने उन्हें सारा जहाँ रहने दिया

यह भी क्या जीने में जीना है बैगैर उनके अदीब,
शम्मा गुल कर दी गयी बाकी धुआं  रहने दिया

'अदीब सहारनपुरी'

I am putting my Maqta to this Ghazal.

अगरचे खू-ए-खूबां है ये पर दिल न माने है 'प्रशांत'
ले ली हंसी मेरी और लब पे फुगाँ रहने दिया
[अगरचे = though; खू = habit; खूबां = beautiful ; फुगाँ = cry]



Monday 5 October 2009

Main khayal hoon kisi aur ka

मैं ख्याल हूं किसी और का मुझे सोचता कोई और है,
सरे आइना मेरा अक्स है पसे आइना कोई और है
[सरे = In front of, अक्स = Reflection, पसे = Behind]

मैं किसी के दस्त-ऐ-तलब में हूं तो किसी के हर्फ़-ऐ-दुआ में हूं,
मैं नसीब हूं किसी और का मुझे मांगता कोई और है
[दस्त-ऐ-तलब = hands of Pleading/Pursuit, हर्फ़-ऐ-दुआ = words of blessing]

कभी लौट आए तो न पूछना सिर्फ़ देखना बड़े गौर से,
जिन्हें रास्ते में ख़बर हुई की ये रास्ता कोई और है

अजब ऐतेबार-ओ-बेऐतबार के दरमियाँ है ज़िंदगी,
मैं करीब हूं किसी और के मुझे जनता कोई और है
[ऐतेबार-ओ-बेऐतबार = trust and distrust, दरमियाँ = between]

तुझे दुश्मनो की ख़बर न थी, मुझे दोस्तों का पता नहीं ,
तेरी दास्ताँ कोई और थी मेरा वाक्या कोई और है
[दास्ताँ / वाक्या= story, happening]

वही मुन्शिफों की रिवायतें, वही फैसलों की इबारतें,
मेरा जुर्म तो कोई और था, यह मेरी सज़ा कोई और है
[मुन्शिफों = judges, रिवायतें = tradition, फैसलों = judgements, इबारतें = compositions/compilations]

तेरी रोशनी मेरी खद्दो-खाल से मुख्तलिफ तो नहीं मगर,
तू करीब आ तुझे देख लूँ तू वही है या कोई और है
[खद्दो-खाल = body, मुख्तलिफ = different]

जो मेरी रियाज़त-ऐ-नीम-शब् को सलीम सुबहों न मिल सकी,
तो फिर इसके माने तो ये हुए की यहाँ खुदा कोई और है
[रियाज़त = spiritual practice/Discipline , नीम-शब् = dark night ]
'Saleem Kausar'
Mehdi Saab's rendition is embedded below

Putting my own Maqta to this Gazal:

'प्रशांत' जीस्त ना अपनी जी सका उसके वादे पे ऐतबार कर
पर क्या गिला करे उससे वो वो नहीं कोई और है
[जीस्त = Life, गिला = complain]